पोस्टपार्टम डिप्रेशन (PPD) एक गंभीर मानसिक स्थिति है जो नई माताओं को प्रभावित करती है, लेकिन इसके बारे में अक्सर गलत धारणाएँ होती हैं। बहुत सी महिलाएं इसे लेकर चुप रहती हैं, क्योंकि समाज में इस पर बात करना मुश्किल माना जाता है। इस लेख में हम उन 5 मिथकों को दूर करेंगे जो महिलाओं को मदद लेने से रोकते हैं।
मिथक 1: यह केवल हार्मोनल बदलाव है
कई लोग मानते हैं कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन सिर्फ हार्मोनल बदलाव का नतीजा है, लेकिन यह सही नहीं है। सच यह है कि PPD एक मानसिक, शारीरिक और सामाजिक स्थिति है, जिसमें हार्मोनल बदलावों के अलावा भी कई कारण शामिल होते हैं, जैसे कि व्यक्तिगत इतिहास, मानसिक तनाव और सामाजिक दबाव। इसे सिर्फ हार्मोन तक सीमित करना इसकी गंभीरता को कम करना है।
मिथक 2: सच्ची मां ऐसी नहीं महसूस करती
समाज में अक्सर यह माना जाता है कि एक मां को हमेशा खुश और आत्म-त्यागी होना चाहिए। जब महिलाएं पोस्टपार्टम डिप्रेशन का सामना करती हैं, तो उन्हें दोषी ठहराया जाता है और यह सोच लिया जाता है कि वे एक अच्छी मां नहीं हैं। इससे महिलाओं में अकेलापन और घबराहट बढ़ जाती है। यह मिथक न केवल गलत है, बल्कि महिलाओं को मदद लेने में रोकता है।
मिथक 3: यह जल्दी ठीक हो जाता है
बहुत से लोग मानते हैं कि पोस्टपार्टम डिप्रेशन कुछ हफ्तों में ठीक हो जाएगा, लेकिन यह सच नहीं है। कई महिलाओं के लिए इसके लक्षण लंबे समय तक, कभी-कभी एक साल या उससे भी ज्यादा समय तक बने रहते हैं। यदि इसका समय पर इलाज नहीं किया जाए, तो यह लंबे समय तक मानसिक परेशानी का कारण बन सकता है। इसे हल्के में लेना ठीक नहीं है।
मिथक 4: थेरेपी लेना ज़रूरी नहीं
यह सोच कि थेरेपी या दवाई लेना अधिक प्रतिक्रिया है, गलत है। पोस्टपार्टम डिप्रेशन किसी भी अन्य बीमारी की तरह एक गंभीर स्थिति है, जिसे समय पर इलाज की आवश्यकता होती है। इसमें देर से इलाज करने से समस्या बढ़ सकती है और यह मानसिक संकट में बदल सकती है। सही समय पर मदद लेने से इससे बचा जा सकता है।
मिथक 5: इस पर बात करने से बच्चा प्रभावित होता है
कई बार माताओं को यह डर होता है कि अगर वे अपने पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में बात करेंगी, तो इससे उनके बच्चे को नुकसान होगा। लेकिन सच यह है कि बिना इलाज के PPD मां और बच्चे दोनों को प्रभावित कर सकता है। यह बच्चे के साथ उनके संबंध, दूध पिलाने और बच्चे के मानसिक विकास पर भी असर डाल सकता है। इसलिए, इस बारे में खुलकर बात करना मां और बच्चे दोनों के लिए फायदेमंद होता है।
निष्कर्ष :
पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में इन मिथकों को तोड़ने की जरूरत है। यह किसी भी मां के लिए एक गंभीर स्थिति हो सकती है, और इससे निपटने के लिए सही समय पर मदद लेना बहुत जरूरी है। अगर आप या आपकी जानने वाली किसी महिला को इस स्थिति का सामना हो रहा है, तो बिना किसी झिझक के मदद लें।
महत्वपूर्ण नोट:
हमेशा महत्वपूर्ण स्वास्थ्य संबंधी बदलाव करने से पहले अपने डॉक्टर या स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श करें। वे आपकी मेडिकल हिस्ट्री और वर्तमान स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर व्यक्तिगत मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।
किसी भी स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए कृपया हमें +91-9058577992 पर संपर्क करें। और हमारे अनुभवी डॉक्टरों से मुफ्त परामर्श प्राप्त करें। आपका स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है। धन्यवाद।